वैशालीः बिहार के वैशाली जिला पहुंचे केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Pashupati Paras On Liquor Ban In Bihar) ने शराबबंदी पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) गरीबों के लिए अहितकर है. इतना ही नहीं सरकार से शराबबंदी हटाने की भी मांग की है. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि अगर आपसे नहीं संभल रहा है तो आप शराबबंदी कानून तोड़ दीजिए. पशुपति पारस ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार सरकार मान रही है कि पटना में अमीर लोग शराब का सेवन कर रहे हैं तो फिर वहां गृह सचिव से लेकर तमाम बड़े अधिकारी मौजूद हैं, उन लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं. पशुपति पारस ने कहा कि पुलिस गरीब लोगों को पकड़कर खानापूर्ति करती है.
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उपचुनाव में एनडीए गठबंधन की जीत का दावाः बिहार में हो रहे कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव पर बयान देते हुए उन्होंने दावा किया कि एनडीए गठबंधन की जीत पक्की है. पशुपति पारस ने इसके लिए तीन कारणों को भी गिनवाया है. उनका दावा है कि वहां से आरजेडी की जीत हुई थी इसके एमएलए भ्रष्टाचार की वजह से गए और फिर आरजेडी ने जदयू को सीट दे दिया है, जिससे आरजेडी और जदयू के कार्यकर्ता की आपस में नहीं बन रही है. साथ ही वहां से मुकेश साहनी ने आरजेडी को सपोर्ट करने के बजाय निर्दलीय को सपोर्ट किया है. इस तरह विधानसभा से एनडीए की जीत 100% पक्की हो गई है. बता दें कि महुआ में आए एक शादी समारोह में केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने मीडिया के सवालों का जबाब देते हुए ये बातें कहीं.
"आप शराब बेच रहे हैं मैं बेच रहा हूं इसका कोई सबूत है. उन्होंने तो कल ही कहा कि मुझे पता है कि पटना में सबसे अधिक अवैध शराब की बिक्री होती है और अच्छे-अच्छे सभी लोग उसका इस्तेमाल करते हैं. अगर अच्छे लोग इस्तेमाल करते हैं तो वहां चीफ सेक्रेटरी हैं सभी अधिकारी हैं आप हैं तो कार्रवाई क्यों नहीं करते है. प्रशासन को सब पता है तो सबसे पहले कार्रवाई होनी चाहिए. उस पर कार्रवाई नहीं होती है गरीब जो लोग हैं उन पर कार्रवाई होती है. पुलिस खानापूर्ति के लिए उनको पकड़कर जेल में बंद करती है. गरीब के लिए बहुत ही अहितकर है यह कानून. बिहार सरकार से संभल नहीं रहा है यदि आप से नहीं संभल रहा है तो छोड़ दो. शराब बंदी कानून तोड़ दो" - पशुपति पारस, केंद्रीय मंत्री
6 साल पहले की गई शराबबंदी : बिहार में अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू की गई थी और इसका दुरुपयोग जमीन पर भी दिखाई देने लगा था. गठबंधन सहयोगी भाजपा और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) ने कानून की समीक्षा और संशोधन की मांग की है. फिलहाल, नीतीश कुमार के लिए यह प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है.